Pages

15 December, 2010

जलवायु परिवर्तन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार आईटी सेक्टर ?

कानकून (मैक्सिको) में हो रही यूएनएफसीसीसी बैठक में जारी कूल आईटी लीडरबोर्ड

 
Press release - December 8, 2010
नई दिल्ली/कानकून (मैक्सिको), 7 दिसम्बर 2010– आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी विप्रो के रूप में पहली बार एक भारतीय कंपनी कूल आईटी लीडरबोर्ड में शामिल हुई है और इस आंकलन बोर्ड में दस शीर्ष कंपनियों में अपना स्‍थान बनाने में कामयाब रही। उम्मीद है कि अगले साल में इस लीडरबोर्ड के विकास के साथ चुनिंदा प्रमुख भारतीय आईटी कंपनियां इस आईटी-जलवायु आंकलन का हिस्‍सा बनेंगी।
ग्रीनपीस द्वारा किये गये ताजा आंकलन के हिसाब से 17 विश्वस्तरीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों के जलवायु नेतृत्व में अगुवाई करने के स्पष्ट संकेत हैं। साथ ही इस अगुवाई में निष्क्रिय रहने वाली आईटी कंपनियों को नकारात्‍मक प्वाइंट भी दिये गये हैं। आईटी एक ऐसा क्षेत्र है जो अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में कायाकल्प करने की क्षमता रखता है। आईटी उद्योग अपनी विशिष्ठ स्‍थान के जरिये ऊर्जा और परिवहन समाधानों द्वारा इनकी कार्बन पदचिन्‍हों में कटौती का रास्‍ता दिखाते हुए जलवायु परिवर्तन रोकने की मजबूत सरकारी नीतियों के लिए समर्थन जुटा सकता है।
ग्रीनपीस इंडिया के क्लाइमेट एंड इनर्जी कैम्पेनर अभिषेक प्रताप ने कहा, “चूंकि सन 2030 तक आवश्यक आधारभूत संरचना का 80 फीसदी हिस्सा अभी विकसित होना बाकी है, इसलिए यह देश को निम्‍न कार्बन उत्‍सर्जन के रास्‍ते पर ले जाने का सुनहरा मौका है । यह भारतीय आईटी कंपनियों के लिए  निम्न कार्बन अर्थ व्यवस्था से सबसे ज्‍यादा लाभांवित होने का सुनहरा अवसर है।
“यह सेक्टर निम्न कार्बन व्यवस्था से मिलने वाले व्यापारिक अवसरों को बढावा दे सकता है (2) लेकिन अब तक आईटी कंपनियां इन परिवर्तनकारी व्यापारिक समाधान की दिशा में एक लंबी छलांग के जरिये व्यापक परिवर्तन, जिसके लिए वे जानी जाती हैं, लाने के बजाय वृद्धिशील दृष्टिकोण अपना रही हैं। आईटी सेक्टर को इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, अपनी क्षमता का अहसास कराते हुए हस्तक्षेप कर हालात बदलने और राष्ट्रीय ऊर्जा नीति को नया स्वरूप प्रदान करना चाहिए।” (3)
हाल ही में संपन्न हुई अकार्बनिक अर्थव्‍यवस्‍था पर आयोजित सीईओ गोलमेज बैठक में भारतीय आईसीटी सेक्टर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इस बात पर पूरी तरह सहमत थे कि आईटी कंपनियों को अगुआ की भूमिका निभाते हुए अकार्बनिक व्यापारिक कारोबार को सुदृढ करने के लिए समाधान और रास्‍ते दिखाने चाहिए।  .
कूल आईटी लीडरबोर्ड के इस संस्करण में सिस्को, एरिक्सन और फ्युजित्सु जैसी सभी अगुआ कंपनियों को घटते क्रम में दर्शाया गया है। सिस्को इनमें सबसे आगे की ओर बढती नजर आयी। उसने अपनी व्यापारिक रणनीति में जलवायु समाधानों को सबसे अधिक प्राथमिकता दी है। यह कार्बन प्रदूषण को कम करने वाली नीतियों को बढावा देने वालों को आर्थिक प्रोत्साहन देता है।
इसी तरह से जलवायु के मददगारों और विरोधी आईटी कंपनियों के बीच लीडरबोर्ड ने अंक देकर स्पष्ट लाइन खींची है। नीचे कुछ उदाहरण दिये गये हैः
• सोनी यूरोप ने यूरोपीय समुदाय के सन 2020 तक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को 30 फीसदी कम करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने में मदद करने के लिए गूगल से हाथ मिलाया है, वहीं माइक्रोसोफ्ट, इन्टेल और आईबीएम को इसकी मुखाल्फत करने वाले यूरोपीय समूह का हिस्सा बने रहने के कारण नकारात्‍मक अंक मिले है। (4)
• सिस्को और एचपी के समर्थन से गूगल को कैलीफोर्निया के उस 23 बैलेट मीसर (उपाय) का मुकाबला करने में मदद मिली है जिसका असफल प्रयास राज्य के ऐतिहासिक ग्लोबल वार्मिंग कानून “कैलीफोर्निया ग्लोबल वार्मिंग सल्यूशन एक्ट” का विरोध करने के लिए तेल कंपनियों की तरफ से किया गया था।
•  फ्युजित्सु को उस जापान सरकार को जलवायु के अनुकूल और साफ-सुथरी ऊर्जा नीति बनाने के लिए 12 खास सुझाव देने के लिए अच्छे अंक हासिल हुए जो सन 2020 तक 1990 के स्तर से 25 फीसदी ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रही है। जबकि अन्य बाकी जापानी आईटी कंपनियां इस संबंध में चुप्पी साधे रहीं। इसीलिए उनको नकारात्मक पक्ष-समर्थन पैनाल्टी (निगेटिव एडवोकेसी पैनाल्टी) मिली। आईटी ट्रेड लाबी जेइआईटीए ने इस ड्राफ्ट कानून का विरोध किया। (5)
ग्रीनपीस अंतरराष्‍ट्रीय के कैम्‍पेनर गैरी कुक ने कहा, “प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियां नीति निर्धारण में अभी भी हावी हैं और अपने हितों को बरकरार रखने के लिए यथास्थिति कायम रखने में सफल हैं। “जलवायु परिवर्तन को रोकने और भविष्य के लिए साफ-सुथरी ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए हमें हर तरफ से समुचित कदम उठाने की जरूरत है। कानकुन में आये विभिन्न देशों के सरकारी प्रतिनिधियों के बीच होने वाले विश्वव्यापी जलवायु करार से लेकर व्यापारिक क्षेत्र तक में जलवायु संबंधी मसलों पर असली तरफदारी की जरूरत है। हर व्यक्ति को भविष्य बचाने के लिए इस दौड में हिस्सा लेना चाहिए।”

No comments:

Post a Comment